सेहर हो या शाम , नहीं लगता अब
आम,कोई है जो पास है, हर
लम्हा अब ख़ास है,
हसरतों की घूँट पीता रहा,घूँट-दर-घूँट जीता
रहा,प्याला ख़त्म हुआ तो
याद आया,ये क्या हुआ,ये कब हुआ,खैर जो हुआ
,वाकई अच्छा हुआ
नींद मुक़म्मल नहीं इन आँखों को,तो इन्हें ख्वाबों से
भर दिया,बहुत खलता है खालीपन
इस सीने में,तो इन्हें धुएं से भर
दिया.
तुम्हारे प्यार में भूकंप के झटके
है,तो गुस्से में सुनामी
का तूफान,लड़की अजीब
हो,पर बेहद लज़ीज़ हो....
तेरे कंधे पे मेरा सर है,हर गम अब बेअसर
है,तेरी हंसी में है
ख़ुशी मेरी,तेरे इश्क का सब असर
है.xxxxमेरी कलम से.......सिर्फ
तुम्हारे लिए!!!xxxxrajeev jha
Friday, January 30, 2009
kuchh khaas
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