इश्क में कहते हो हैरान हुये जाते हैं
ये नहीं कहते कि इन्सान हुए जाते हैं
- जोश मलीहाबादी
इश्क ने ''ग़ालिब'' निकम्मा कर दिया वरना हम भी आदमी थे काम के । - ग़ालिब
रोग पैदा कर ले कोई जिंदगी के वास्ते सिर्फ सेहत के सहारे जिंदगी कटती नहीं - फिराक गोरखपुरी
मेरी आंखें और दीदार आप का या कयामत आ गई या ख्वाब है - आसी गाजीपुरी
पूछा जो उनसे गैर को चाहूं तो क्या करो बोले कि जाओ चाहो कोई दूसरा भी है - हकीम काशिफ
थोड़ी बहुत मुहब्बत से काम नहीं चलता ऐ दोस्त ये वो मामला है
जिसमें या सब कुछ या कुछ भी नहीं
- फिराक
ऐ इश्क की बेबाकी क्या तूने कहा उनसे जिस पर उन्हें गुस्सा है इंकार भी हैरत भी - हसरत
कह्र हो या बला हो जो कुछ हो काश कि तुम मेरे लिये होते - गालिब
तुम नहीं पास कोई पास नहीं अब मुझे जिन्दगी की आस नहीं - जिगर बरेलवी
तुम्हारे नाज किसी और से तो क्या उठते खता मुआफ ये पापड़ हमीं ने बेले हैं - अन्जुम फौकी
नशा पिला के गिराना तो सब को आता है
मजा तो जब कि गिरतों को थाम ले साकी
- अब्दुल हमीद ''अदम''
साकी गई बहार, रही दिल में ये हवसतू मिन्नतों से जाम दे और मैं कहूं कि बस - सौदा
आए थे हंसते खेलते मैखाने में ''फिराक''जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए - फिराक गोरखपुरी
वीरां है मैकदा खुम-ओ-सागर उदास है तुम क्या गए कि रूठ गए दिन बहार के - फैज अहमद ''फैज''
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