जिसके पीछे पागल हो कर ,
मैं दौड़ा अपने जीवन भर,
जब मृगजल में परिवर्तित हो
मुझ पर मेरा अरमान हँसा!
तब रोक न पाया मैं आंसू !
मेरे पूजन आराधन को,
मेरे सम्पूर्ण समर्पण में,
जब मेरी कमज़ोरी कह कर,
मेरा पूजित पाषाण हँसा !
तब रोक न पाया मैं आंसू !!!
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