Friday, January 30, 2009

सवेरे-सवेरे

सवेरे सवेरे



कोई पास आया सवेरे सवेरे

मुझे आज़माया सवेरे सवेरे




मेरी दास्तां को ज़रा सा बदल कर
मुझे ही सुनाया सवेरे सवेरे




जो कहता था कल तक संभलना संभलना
वही लड़खड़ाया सवेरे सवेरे




कटी रात सारी मेरी मयकदे में
ख़ुदा याद आया सवेरे सवेरे


~सईद राही






1 comment:

  1. ये सईद राही की रचना है| देवनागरी लिखने में कही गलतिया हुई है उसे दुरुस्त करना |
    पूरी रचना ऐसी है
    कोई पास आया सवेरे सवेरे
    मुझे आज़माया सवेरे सवेरे

    मेरी दास्तां को ज़रा सा बदल कर
    मुझे ही सुनाया सवेरे सवेरे

    जो कहता था कल तक संभलना संभलना
    वही लड़खड़ाया सवेरे सवेरे

    कटी रात सारी मेरी मयकदे में
    ख़ुदा याद आया सवेरे सवेरे
    ~सईद राही

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