रात चुप चाप से
अकेले आ जाती है
दस्तक भी नहीं देती
पता भी नहीं बताती अपना
बस आ कर के लेट जाती है साथ
जैसे बिन बताये ही सिरहाना खिसक कर
बाँहों में आ जाये और बदन से लग कर
कहे की किसका इंतज़ार करते हो
टकटकी बांधे देखते हो अँधेरे में
सायों ओ आगोश में लेने की कोशिश करते हो
और यह नहीं सोचते की ये साए भी
मेरी वजह से ही हैं
Rajshekhar Malviya
Brand Curry
VP
Tuesday, August 17, 2010
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