Monday, February 2, 2009

madhubala

इस नीले अंचल की छाया में,
जग-ज्वाला का झुलसाया;
आ कर शीतल करता काया,
मधु- मरहम का मैं लेपन कर,
अच्छा करती उर का छाला,
मैं मधुशाला की मधुबाला.

-बच्चन

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