Monday, February 2, 2009

kuchh aur...

न मैं तलाश करुँ तुम में, जो नहीं हो तुम;
न तुम तलाश करो मुझ में, जो नहीं हूँ मैं.
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यहाँ कोई किसी को रास्ता नहीं देता;
मुझे गिरा के अगर तुम संभल सको
तो चलो;
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलतीं हैं,
तुम अपने आप को खुद ही बदल सको
तो चलो.
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मुझ जैसा एक आदमी, मेरा ही हमनाम,
उल्टा सीधा वो चले, मुझे करे बदनाम.
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-Nida Faazli

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