Wednesday, March 18, 2009

गीताँजली


जब लगा की थक कर हुआ चूर,

पथ मेरा मुझसे हुआ दूर,

हर काम रुका, पाथेय चूका,

थी यही नियती, अति कठिन- क्रूर;

अब कहीं किसी कोने में जा,

करना होगा कहीं ओढ़,

वे दीन हीन से जीर्ण वसन;


तब देख रहा यह चकित आज,

तेरी लीला का नहीं पार,

फिर धार उमर आई कोई,

मुझमे बहती नूतन बयार;


जब गई पुरानी भाषा मर,

नव गीत उठे छाती में भर,

जब पूरा हुआ पुराना पथ,

आये नव प्रांतर,क्षितिज उभर..

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रविन्द्र नाथ ठाकुर


Tuesday, March 17, 2009

कल रात मैं कहाँ था?

क्या ख़लिश थी , ना ख़बर कि,
क्यूँ कब से मैं ख़फा था,
क्या ज़हन म चल रहा था,
कल रात मैं कहाँ था?
x
वो लिबास सा लिपट कर,
क्यूँ लिहाफ़ सा लगा था?
मैं मरीज़ खुद दवा था,
कल रात मैं कहाँ था?
x
थी वो हूक हसरतों की,
सब धुँध से धुला था,
क्यूँ धूप में धरा था,
कल रात मैं कहाँ था?
x
क्यूँ खुली थी खिड़कियाँ भी,
कब लौ वो बुझ गया था?
मैं आप जल रहा था,
कल रात मैं कहाँ था?
xxxx
राजीव झा

Saturday, March 14, 2009

खुद को जताया जाए...

चलो आज...
किसी सोये हुए रिश्ते को जगाया जाए,
किसी का दिल बहलाया जाए,
किसी का दिन बनाये जाए,
किसी को कुछ बताया जाए.


जो दूर हो उसे पास बुलाया जाए,
जो पास हो उसे ख़ास बनाया जाए,
सूखे किसी दिल को भिगाया जाए,
किसी पर तो प्यार लुटाया जाए.


जो रोता हो उसे हंसाया जाए,
जो रूठा हो उसे मनाया जाए,
किसी से सुन किसी को सुनाया जाए,
ग़मों को भूलकर थोड़ा मुस्कुराया जाए.

किसी का नंबर मिलाया जाए,
किसी का फ़ोन खनकाया जाए,
दिलों के फासलों को मिटाया जाए,
फिर एक नई दुनिया बनाया जाए,

चलो आज, खुद को जताया जाए...

AIRTEL
Express Yourself

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This is a commercial I've written for Airtel.
It is my personal work and i hope to apply it someday to my favourite Telecom Service Provider brand.

Friday, March 13, 2009

Tagore's Gitanjali

"My song has put off her adornments.

She has no pride of dress and decoration.

Ornaments would mar our union;

they would come between thee and me;

their jingling would drown thy whispers."

"My poet's vanity dies in shame before thy sight.

O master poet, I have sat down at thy feet.

Only let me make my life simple and straight,

like a flute of reed for thee to fill with music."