Friday, January 30, 2009

प्रिय तुम आते तब क्या होता!

मधुर प्रतीक्षा ही जब इतनी, प्रिय तुम आते तब क्या होता?


मौन रात इस भांति कि जैसे कोई गत वीणा पर बज कर,

अभी-अभी सोई खोई-सी, सपनों में तारों पर सिर धर और दिशाओं से प्रतिध्वनियाँ,

जाग्रत सुधियों-सी आती हैं,

कान तुम्हारे तान कहीं से यदि सुन पाते, तब क्या होता?

तुमने कब दी बात रात के सूने में तुम आने वाले,

पर ऐसे ही वक्त प्राण मन,

मेरे हो उठते मतवाले,साँसें घूमघूम फिरफिर से,

असमंजस के क्षण गिनती हैं,मिलने की घड़ियाँ तुम निश्चित,

यदि कर जाते तब क्या होता?

उत्सुकता की अकुलाहट में,

मैंने पलक पाँवड़े डाले,अम्बर तो मशहूर कि सब दिन,

रहता अपने होश सम्हाले,तारों की महफिल ने

अपनी आँख बिछा दी किस आशा से,

मेरे मौन कुटी को आते तुम दिख जाते तब क्या होता?

बैठ कल्पना करता हूँ, पगचाप तुम्हारी मग से आती,

रगरग में चेतनता घुलकर, आँसू के कण सी झर जाती,

नमक डली सा गल अपनापन, सागर में घुलमिल सा जाता,

अपनी बाँहों में भरकर प्रिय, कण्ठ लगाते तब क्या होता?

-बच्चन

bus yoon hi.....kucch pankitiyaan

इस नीले अंचल की छाया में
जग-ज्वाला का झुलसाया
आकर शीतल करता काया,
मधु-मरहम का मैं लेपन कर
अच्छा करती उर का छाला।
मैं मधुशाला की मधुबाला
....................................................................................

मुझसे मिलने को कौन विकल?
मैं होऊँ किसके हित चंचल? -
यह प्रश्न शिथिल करता पद को,
भरता उर में विह्वलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
-बच्चन

मुझे पुकार लो!

इसीलिए खडा रहा कि तुम मुझे पुकार लो!
जमीन है न बोलतीआसमान बोलता,

जहान देखकर मुझे नहीं जबान खोलता,

नहीं जगह कहीं जहां न अजनबी गिना गया,

कहां-कहांफिर चुका दिमाग-दिल टटोलता,

कहां मनुष्य है कि जो उमीद छोडकर जिया,

इसीलिए खडा रहा कि तुम मुझे पुकार लो
इसीलिए खडा रहा कि तुम मुझे पुकार लो!
तिमिर -
समुद्र कर सकीपार नेत्र की तरी,

विनिष्ट स्वप्न से लदी, विषाद याद से भरी,

कुल भुमि का मिला, न कोर भोर की मिली,

न कट सकी, न घट सकी विरह - घिरी विभावरी,

कहां मनुष्य है जिसे कमी खलीप्यार की,

इसीलिए खडा रहा कि तुम मुझे पुकार लो!
इसीलिए खडा रहा कि तुम मुझे पुकार लो!
उजाड से लगा चुका उमीद मैं बहार की,

निदाघ से उमीद की बसंत के बयार की,

मरुस्थली मरिचिका सुधामयी मुझे लगी,

अंगार से लगा चुका उमीद मैं तुषार की,

कहां मनुष्य है जिसे न भूल शूल-सी गडी,

इसीलिए खडा रहा कि भूल तुम सुधार लो!
इसीलिए खडा रहा कि तुम मुझे पुकार लो!

पुकार लो दुलार लो, दुलार कर सुधार लो!

-बच्चन

प्यार किसी को करना लेकिन

प्यार किसी को करना लेकिन कहकर उसे बताना कया
अपने को अपर्ण करना पर र को अपनाना क्या
गुण का ग्राहक बनना लेकिन गाकर उसे सुनाना क्या
मन के कल्पित भावों से औरों को भ्रम में लाना क्या
ले लेना
सुगन्ध सुमनों कीतोड़ उन्हें मुरझाना क्या
प्रेम हार पहनाना लेकिनप्रेम पाश फैलाना क्या
त्याग अंक में पले प्रेम शिशु उनमें स्वार्थ बताना क्या
देकर ह्रदय ह्रदय पाने की आशा व्यर्थ लगाना क्या!
-बच्चन

कहते हैं तारे गाते हैं

कहते हैं तारे गाते हैं
कहते हैं तारे गाते हैं!
सन्नाटा वसुधा पर छाया,
नभ में हमने कान लगाया,
फिर भी अगणित कंठों का यह राग नहीं हम सुन पाते हैं!
कहते हैं तारे गाते हैं!
स्वर्ग सुना करता यह गाना,
पृथिवी ने तो बस यह जाना,
अगणित ओस-कणों में तारों के नीरव आँसू आते हैं!
कहते हैं तारे गाते हैं!
ऊपर देव तले मानवगण,
नभ में दोनों गायन-रोदन,
राग सदा ऊपर को उठता, आँसू नीचे झर जाते हैं।
कहते हैं तारे गाते हैं!

-बच्चन

अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है

प्रलय की रात में सोचे

प्रणय की बात क्या कोई,

मगर पड़ प्रेम बंधन में

समझ किसने नहीं खोई,

किसी के पथ में पलकें बिछाए कौन बैठा है?

अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?

-बच्चन

था तुम्हें मैंने रुलाया!

हा, तुम्हारी मृदुल इच्छा!
हाय, मेरी कटु अनिच्छा!
था बहुत माँगा ना तुमने किन्तु वह भी दे ना पाया!
था तुम्हें मैंने रुलाया!
स्नेह का वह कण तरल था,मधु न था,
न सुधा-गरल था,एक क्षण को भी,
सरलते, क्यों समझ तुमको न पाया!
था तुम्हें मैंने रुलाया!
बूँद कल की आज सागर,सोचता हूँ बैठ तट पर -
क्यों अभी तक डूब इसमें कर न अपना अंत पाया!
था तुम्हें मैंने रुलाया!


-बच्चन

क्या भूलूं, क्या याद करूं

क्या भूलूं, क्या याद करूं मैं!

अंगणित उन्मादों के क्षण हैं,

अंगणित अवसादों के क्षण हैं,

रजनी की सूनी घडियों को किन-किन से आबाद करूं मैं!

क्या भूलूं, क्या याद करूं मैं!

-बच्चन

याद सुखों की आंसू लाती, दुख की, दिल भारी कर जाती,

दोष किसे दूं जब अपने से अपनए दिन बर्बाद करूं मैं!

क्या भूलूं, क्या याद करूं मैं!

दोनों करके पछताता हूं,सोच नहीं, पर मैं पाता हूं,

सुधियों के बंधन से कैसे अपने को आज़ाद करूं मैं!

क्या भूलूं, क्या याद करूं मैं!

क्षण भर को क्यों प्यार किया था


अर्द्ध रात्रि में सहसा उठकर,


पलक संपुटों में मदिरा भर,


तुमने क्यों मेरे चरणों में अपना तन-मन वार दिया था?


क्षण भर को क्यों प्यार किया था?



‘यह अधिकार कहाँ से लाया!’


और न कुछ मैं कहने पाया -


मेरे अधरों पर निज अधरों का तुमने रख भार दिया था!


क्षण भर को क्यों प्यार किया था?



वह क्षण अमर हुआ जीवन में,


आज राग जो उठता मन में -


यह प्रतिध्वनि उसकी जो उर में तुमने भर उद्गार दिया था!


क्षण भर को क्यों प्यार किया था?

-बच्चन

क्या लिखूँ

कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ या दिल का सारा प्यार लिखूँ

कुछ अपनो के ज़ाज़बात लिखूँ या सपनो की सौगात लिखूँ

मै खिलता सुरज आज लिखूँ या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ

वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की सान्स लिखूँ

वो पल मे बीते साल लिखू या सादियो लम्बी रात लिखूँ

मै तुमको अपने पास लिखू या दूरी का ऐहसास लिखूँ

मै अन्धे के दिन मै झाँकू या आँन्खो की मै रात लिखूँ

मीरा की पायल को सुन लुँ या गौतम की मुस्कान लिखूँ

बचपन मे बच्चौ से खेलूँ या जीवन की ढलती शाम लिखूँ

सागर सा गहरा हो जाॐ या अम्बर का विस्तार लिखूँ

वो पहली -पहली प्यास लिखूँ या निश्छल पहला प्यार लिखूँ

सावन कि बारिश मेँ भीगूँ या आन्खो की मै बरसात लिखूँ

गीता का अॅजुन हो जाॐ या लकां रावन राम लिखूँ

मै हिन्दू मुस्लिम हो जाॐ या बेबस ईन्सान लिखूँ

मै ऎक ही मजहब को जी लुँ ॰॰॰या मजहब की आन्खे चार लिखूँ

कुछ जीत लिखू या हार लिखूँया दिल का सारा प्यार लिखूँ!

-बच्चन

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

-बच्चन

ऐसा नही की आज मुझे चाँद चाहिए,

ऐसा नही की आज मुझे चाँद चाहिए,

मुझको तुम्हारे प्यार में विश्वास चाहिए...

मिल न सको मुझे तुम हकीक़त में गर कभी,

जन्नत में बस तुम्हारा मुझे साथ चाहिए...

न की कभी भी ख्वाहिश, मैंने सितारों की,

ख्वाबों में बस तुम्हारा मुझे दीदार चाहिए...

जाओगे दफ्न करने जब मेरे जिस्म को,

बस आखिरी दो पल का मुझे साथ चाहिए...

ऐसे मैं मन बहलाता हूँ!

सोचा करता बैठ अकेले,

गत जीवन के सुख-दुख झेले,

दंशनकारी सुधियों से मैं उर के छाले सलाता हूँ!

ऐसे मैं मन बहलाता हूँ!


नहीं खोजने जाता मरहम,

होकर अपने प्रति अति निर्मम,

उर के घावों को आँसू के खारे जल से नहलाता हूँ!

ऐसे मैं मन बहलाता हूँ!


आह निकल मुख से जाती है,

मानव की ही तो छाती है,

लाज नहीं मुझको देवों में यदि मैं दुर्बल कहलाता हूँ!

ऐसे मैं मन बहलाता हूँ!

-बच्चन

वे पाषाण कहाँ है

किस पर अपना प्यार चढाऊँ?

यौवन का उद्गार चढाऊँ?

मेरी पूजा को सह लेने वाले वे पाषाण कहाँ है!

-बच्चन

मैं कल रात नहीं रोया था

दुख सब जीवन के विस्मृत कर,
तेरे वक्षस्थल पर सिर धर,
तेरी गोदी में चिड़िया के बच्चे-सा छिपकर सोया था!
मैं कल रात नहीं रोया था!

प्यार-भरे उपवन में घूमा,
फल खाए, फूलों को चूमा,
कल दुर्दिन का भार न अपने पंखो पर मैं ने ढोया था!
मैं कल रात नहीं रोया था!

आँसू के दाने बरसा कर किन आँखो ने तेरे उर पर
ऐसे सपनों के मधुवन का मधुमय बीज, बता, बोया था!
मैं कल रात नहीं रोया था!

-बच्चन

उंगली से लिखा था प्यार तुमने।

रात आधी खींच कर मेरी हथेली, एक उंगली से लिखा था प्यार तुमने

फ़ासला था कुछ हमारे बिस्तरों में
और
चारों ओर दुनिया सो रही थी।

तारिकाऐं ही गगन की जानती हैंजो दशा दिल की
तुम्हारे हो रही थी।

मैं तुम्हारे पास होकर दूर तुमसेअधजगा सा और
अधसोया हुआ सा।

रात आधी खींच कर मेरी हथेलीएक उंगली से लिखा था
प्यार तुमने।
एक बिजली छू गई सहसा जगा
मैं
कृष्णपक्षी
चाँद निकला था गगन में।

इस तरह करवट पड़ी थी तुम कि आँसू बह रहे थे इस नयन से
उस नयन में।

मैं लगा दूँ आग इस संसार मेंहै प्यार जिसमें इस
तरह असमर्थ कातर।

जानती हो उस समय क्या कर गुज़रनेके लिए था कर दिया
तैयार तुमने!

रात आधी खींच कर मेरी हथेली, एक उंगली से लिखा था प्यार
तुमने।
प्रात ही की ओर को है रात चलती औ उजाले में अंधेरा डूब
जाता।

मंच ही पूरा बदलता कौन ऐसी खूबियों के साथ परदे को उठाता।

एक चेहरा सा लगा तुमने लिया था और मैंने था
उतारा एक चेहरा।

वो निशा का स्वप्न मेरा था कि अपने पर ग़ज़ब का था किया
अधिकार तुमने।

रात आधी खींच कर मेरी हथेली एक उंगली से लिखा था
प्यार तुमने।
और उतने फ़ासले पर आज तकसौ यत्न करके भी न आये फिर कभी
हम।

फिर न आया वक्त वैसा फिर न मौका उस तरह
काफिर न लौटा चाँद निर्मम।

और अपनी वेदना मैं क्या बताऊँ।

क्या नहीं ये पंक्तियाँ खुद बोलती हैं?

बुझ नहीं पाया अभी तक उस समय जो रख दिया था हाथ पर
अंगार तुमने।

रात आधी खींच कर मेरी हथेली उंगली से लिखा था प्यार
तुमने।

-बच्चन

kuchh sher

le chala jaan meri rooth ke jaana tera

aise aane se to behtar tha na aana tera


Tere naseeb ke kaante khudaa mujhe de de,

Teri fateh ho, mile khud ba khud tujhe manzil.

Ho teri paak nigaahon main dhoop si tezi,

Nazar mile to kare aafataab bhi jhilmil

Naa teri aankh main aansoo kabhi bhi chalke,

Naa teri raah main aaye kabhi koi mushkil.

Chhuye naa dhool ka zarra bhi tere daaman ko,

Tere qadam se pighal jaaye har pahaad ka dil.

Main saans loon to khoon surkh ho teraa,

Tera hai tera hi rahega is Badnaseeb ka dil.

sher

इश्क में कहते हो हैरान हुये जाते हैं

ये नहीं कहते कि इन्सान हुए जाते हैं

- जोश मलीहाबादी

इश्क ने ''ग़ालिब'' निकम्मा कर दिया वरना हम भी आदमी थे काम के । - ग़ालिब

रोग पैदा कर ले कोई जिंदगी के वास्ते सिर्फ सेहत के सहारे जिंदगी कटती नहीं - फिराक गोरखपुरी

मेरी आंखें और दीदार आप का या कयामत आ गई या ख्वाब है - आसी गाजीपुरी

पूछा जो उनसे गैर को चाहूं तो क्या करो बोले कि जाओ चाहो कोई दूसरा भी है - हकीम काशिफ

थोड़ी बहुत मुहब्बत से काम नहीं चलता ऐ दोस्त ये वो मामला है

जिसमें या सब कुछ या कुछ भी नहीं

- फिराक

ऐ इश्क की बेबाकी क्या तूने कहा उनसे जिस पर उन्हें गुस्सा है इंकार भी हैरत भी - हसरत

कह्र हो या बला हो जो कुछ हो काश कि तुम मेरे लिये होते - गालिब

तुम नहीं पास कोई पास नहीं अब मुझे जिन्दगी की आस नहीं - जिगर बरेलवी

तुम्हारे नाज किसी और से तो क्या उठते खता मुआफ ये पापड़ हमीं ने बेले हैं - अन्जुम फौकी

नशा पिला के गिराना तो सब को आता है

मजा तो जब कि गिरतों को थाम ले साकी

- अब्दुल हमीद ''अदम''

साकी गई बहार, रही दिल में ये हवसतू मिन्नतों से जाम दे और मैं कहूं कि बस - सौदा

आए थे हंसते खेलते मैखाने में ''फिराक''जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए - फिराक गोरखपुरी

वीरां है मैकदा खुम-ओ-सागर उदास है तुम क्या गए कि रूठ गए दिन बहार के - फैज अहमद ''फैज''

assa te tennu rab maneya

Tu mane ya na mane dildara
assa te
tennu rab maneya
Tujh bin jeena bhi kya jeena,
teri chokhat mera
madina
Kahin aur na sajda dobara
assa te tennu rab maneya
Apne tan ki
khaak bana di
tab ye pyar ki manzil paai
Mera bole dil ka har tara
assa te tennu rab maneya

मिटटी का हूँ छोटा दीपक


मुझे न अपने से कुछ प्यार,

मिटटी का हूँ छोटा दीपक,

ज्योति चाहती दुनिया जब तक मेरी,

जल जल कर मैं उसको देने को तैयार...

पर यदि मेरी लौ के द्वार,

दुनिया की आँखों को निद्रित,

आँखों को करते हों छिद्रित,मुझे बुझा दे,

बुझ जाने से मुझे नहीं इन्कार...

केवल इतना ले वो जान,

मिटटी के दीपो के

अन्तरमुझमे दिया प्रकृति ने है कर,

मैं सजीव दीपक हूँ,

मुझमे भरा हुआ है मान,

पहले कर ले खूब विचार,

तब वह मुझ पर हाथ बर्हाए,

कहीं न पीछे से पछताए,

बुझा मुझे फिर जला न सकेगा दूसरी बार.......

-बच्चन

ज़िन्दगी का अलग रूप

क्या सोचते हैं हम और क्या हो जाता है,
ज़िन्दगी का अलग ही रूप सामने आता है,
हमारे सारे सपने यूँ टूट जाते हैं,
जैसे पतझड़ में पत्ते पेड़ों का साथ छोड़ जाते हैं,
कहते हैं की आँखों से आंसू गिरते हैं,
पर मैंने इन्हें दिल से निकलते देखा है,
अपनी ज़िन्दगी को अपने सामने,
मृत्यु में बदलते देखा है,आता है एक समय भी ऐसा,
जब हमारे सारे सपने कहीं खो जाते हैं,
हम अपना अस्तित्व खो कर भी ,
जिंदा रहने के लिए मजबूर हो जाते हैं,
हर इच्छा हर चाह से मन विरान हो जाता है,
ये वो गुलशन है जो अपने उजड़ने का मातम मनाता है,
क्यों हमारी ज़िन्दगी हमारे सपनो के मुताबिक नहीं चलती,
क्यों ये दुनिया हमारे शब्दों को भूलकर,
दिल की आवाज़ को नहीं सुनती,
क्यों अपने परिश्रम का बलिदान कर देने पर भी,
हम भाग्यहीन रह जाते हैं,
क्यों देते हुए दूसरों को बहुत,
हमारे खुद के हाथ खाली रह जाते हैं,
मेरे अब तक के जीवन का यही सार है,
बहते आंसू, टूटे सपने,हमारे ,
ये ही , जीवन के आधार हैं...
xxxx
Kavita- my colleague at Newfields

kuchh khaas

सेहर हो या शाम , नहीं लगता अब
आम,
कोई है जो पास है, हर
लम्हा अब ख़ास है,

हसरतों की घूँट पीता रहा,
घूँट-दर-घूँट जीता
रहा,
प्याला ख़त्म हुआ तो
याद आया,ये क्या हुआ,
ये कब हुआ,खैर जो हुआ
,
वाकई अच्छा हुआ

नींद मुक़म्मल नहीं इन आँखों को,
तो इन्हें ख्वाबों से
भर दिया,
बहुत खलता है खालीपन
इस सीने में,
तो इन्हें धुएं से भर
दिया.

तुम्हारे प्यार में भूकंप के झटके
है,
तो गुस्से में सुनामी
का तूफान,
लड़की अजीब
हो,
पर बेहद लज़ीज़ हो....

तेरे कंधे पे मेरा सर है,
हर गम अब बेअसर
है,
तेरी हंसी में है
ख़ुशी मेरी,
तेरे इश्क का सब असर
है.
xxxx
मेरी कलम से.......सिर्फ
तुम्हारे लिए!!!
xxxx
rajeev jha

सवेरे-सवेरे

सवेरे सवेरे



कोई पास आया सवेरे सवेरे

मुझे आज़माया सवेरे सवेरे




मेरी दास्तां को ज़रा सा बदल कर
मुझे ही सुनाया सवेरे सवेरे




जो कहता था कल तक संभलना संभलना
वही लड़खड़ाया सवेरे सवेरे




कटी रात सारी मेरी मयकदे में
ख़ुदा याद आया सवेरे सवेरे


~सईद राही






अकेला इक ख्वाब हूँ.

इस अजनबी सी दुनिया में,
अकेला इक ख्वाब हूँ.
सवालों से खफ़ा, चोट सा जवाब हूँ.
जो ना समझ सके, उनके लिये "कौन".
जो समझ चुके, उनके लिये किताब
हूँ.

दुनिया कि नज़रों में, जाने क्युं चुभा
सा.

सबसे नशीला और बदनाम शराब हूँ.
सर उठा के देखो, वो देख रहा है
तुमको.

जिसको न देखा उसने, वो चमकता आफ़ताब
हूँ.

आँखों से देखोगे, तो खुश मुझे
पाओगे.

दिल से पूछोगे, तो दर्द का सैलाब
हूँ.

तब रोक न पाया मैं आंसू

जिसके पीछे पागल हो कर ,
मैं दौड़ा अपने जीवन भर,
जब मृगजल में परिवर्तित हो
मुझ पर मेरा अरमान हँसा!
तब रोक न पाया मैं आंसू !


मेरे पूजन आराधन को,
मेरे सम्पूर्ण समर्पण में,
जब मेरी कमज़ोरी कह कर,
मेरा पूजित पाषाण हँसा !
तब रोक न पाया मैं आंसू !!!

प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो...

मैं जगत के ताप से डरता नहीं
अब,
मैं समय के शाप से डरता नहीं
अब,
आज कुंतल छाँह मुझ पर तुम किये हो
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे
लिए हो...
रात मेरी, रात का श्रृंगार मेराआज
आधे विश्व से अभिसार मेरा ,
तुम मुझे अधिकार अधरों पर दिए
हो,
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए
हो...
वह सुरा के रूप से मोहे भला
क्या,
वह सुधा के स्वाद से जाए छला
क्या,
जो तुम्हारे होंठ का मधु- विष पिए
हो
प्राण कह दो, आज तुम मेरे लिए
हो...
मृत सजीवन था तुम्हारा तो परस
ही,
पा गया मैं बाहू का बन्धन सरस
भी,
मैं अमर अब, मत कहो केवल जिए हो,
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए
हो...

आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ...

है कहाँ वह आग जो मुझको
जलाए,
है कहाँ वो ज्वाल पास
मेरे आए,
रागिनी, तुम आज दीपक
राग गाओ,
आज फिर से तुम बुझा
दीपक जलाओ,
तुम नई आभा नहीं मुझमे
भरोगी,
नव विभा में स्नान तुम
भी तो करोगी,
आज तुम मुझको जगा कर
जगमगाओ,
आज फिर से तुम बुझा
दीपक जलाओ,
मैं तपोमय, ज्योति की,
पर प्यास मुझको,
है प्रणय की शक्ति पर
विश्वास मुझको,
स्नेह की दो बूँदें भी
तो तुम गिराओ,
आज फिर से तुम बुझा
दीपक जलाओ,
कल तिमिर को भेद मैं
आगे बर्हुंगा,
कल प्रलय की आँधियों
से मैं लारुंगा,
किन्तु आज मुझको आँचल
से बचाओ,
आज फिर से तुम बुझा
दीपक जलाओ....


Illusions

Don’t be
Dismayed at good- byes.
A farewell is necessary before
You can meet
Again
And meeting
Again, after moments or
Lifetimes, is certain for
those who are
friends

xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx

You are
Never given a wish
without also being given the
Power to make it true.
You may
Have to work for it,
However


xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx

The bond
That links your true family
Is not one of blood, but
Of respect and joy in
Each other’s life.
Rarely do members
Of one family grow up
Under the same
Roof

xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx


You
Teach best
What you most need
To learn

xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx



Live
Never to be
Ashamed of anything you do
Or say is published
Around the world-
Even if
What is published
Is not true

xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx

Your friends
Will know you better
In the first minute you meet
Than
Your acquaintances
Will know you in
A thousand
Years

xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx

Your only
Obligation, in any lifetime
Is to be true to yourself.
Being true to anyone else or
Anything else is impossible.

xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
Richard Bach

Confessions of a Madwoman

It’s hard but I got to do this.
Let you know what is it that I get from you.

And got from you.

Things that have made a difference to my life.

1. Holding your soft hands that makes me feel so safe, protected, warm and wanted

2. The safe heaven of your arms

3. The looks in your looks when you look at me

4. The way you touch my cheeks while we are eating

5. The way you feed me

6. The way you forgave me the day you had felt betrayed by me the most

7. The way you end up doing bad in trying to be good to me

8. I just love your poems

9. You got me on my feet when I was down and out
10. You brought back my self-confidence and that sense of dignity-

things I’d lost long time back-for almost 2 years

11. Your creativity

12. The way you look into my eyes while we are together

13. The way you hold me long after its all over

14. The way you always hold me when I am with you

15. The way your heart raced as it lay pressed against my satisfied bosom.

16. Your post all rock


What is it that I want to write?
I know not…
But, for the fact that there’s something I got

And want to write.

I WANT YOU TO NEED ME

I want to be the face you see when you close your eyes
I want to be the touch you need every single night
I want to be your fantasy And be your reality
And everything between
I want you to need me Like the air you breathe
I want you to feel me In everything
I want you to see me In your every dream
The way that I taste you, feel you, breathe you, need you,
I want you to need me Like I need you

I want to be the eyes that look deep into your soul
I want to be the world to you I just want it all
I want to be your deepest kiss
The answer to your every wish
I'm all you ever need


More than you could know
And I need you To never never let me go
And I need to be deep inside your heart
I just want to be everywhere you are....

I want to be the eyes that look deep into your soul

I want to be the world to youI just want it all

I want to be your deepest kiss

The answer to your every wish

I'm all you ever need

More than you could know

And I need you To never never let me go

And I need to be deep inside your heart

I just want to be everywhere you are....

I want to be the face you see when you close your eyes

I want to be the touch you need every single night

I want to be your fantasyAnd be your reality

And everything between

Don't want you for the weekend

Don't want you for a day

Don't need a love divided

Don't want to feel this way

See I want you to need me

(the way I need you)

Just like I need you

(the way I see you)

And I want you to see me

Like no-one before

You're irresistible -

and natural, physical

It's indefinable - and magical,

illogical So make you mineable,

you're mine

So can't you see I'm tortured (tortured)

Oh can't you hear my pain

If you just let me show you (show you)

I'll be your summer rain

Then you'll feel that you want me (the way I'm feeling)

Just like I want you (the way I want you)

And you know nothing's better

It's like nothing before

Now you feel what I'm feeling (don't you feel what I'm feeling)

Don't you know that it's more (it can take you places)

It can take you places Like never before


make me yours

DECLARATION OF LOVE

You are my knight in armor
The hero of my heart
When you smile at me,
I seeA true world go up
The river is getting deep,
believe it
You're all these arms of mine
wanna hold
All wrapped up with a river
Baby, I'm giving you this heart of gold


So listen up--it's you I trust
I feel magic ev'ry time that we touch
I pledge allegiance to the heavens above
Tonight to you, babyI make my declaration of love

Just like Juliet Belonged to Romeo
You can stay prepared that I won't be letting you go
In the heat of the night, so right
You taste my sweetness on your lips
I'll make it better than you ever dreamed
And the rest of your life will be just like this,
baby
Declaration of love, declaration of love...

Ribbons of blue

Ribbons of blue Remind me of you
Ribbons of red Are the way that my heart bled
Memories so clear Are still ringing in my ears
So I wanna send to you My Ol' ribbons of blue

Got me a ribbon Bright blue ribbon for my hair
Made me a promise Now I know he didn't care
Touched by his first kiss Fooled by his first song
The way he led me along With my ribbons undone
Ribbons of blue Now remind me of you
Ribbons of red Are the way that my heart bled
Memories so clearAre still ringing in my ear
So I wanna send to you My Ol' ribbons of blue

Sad for me baby So bad for me baby
OohhHard on me babySo far from me baby
Blue Ribbon Dreamer Came with words that sounded right
Took me dancing Held me close and Held me tight
Fooled by his first kiss Touched by his first song
The way he led me along With my ribbons undone.