Tuesday, February 17, 2009

abida parveen sings....

मैं हुस्न-ए-मुजस्सिम हूँ,
मैं गेसू-ए-बरहम हूँ,
मैं फूल हूँ शबनम हूँ,
मैं जलवा-ए-जनाना,
मैं वासिफ-ए-बिस्मिल हूँ,
मैं रौनक-ए-महफ़िल हूँ,
एक टूटा हुआ दिल हूँ,
मैं शहर में विराना...
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हज़रत वासिफ अली वासिफ....
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हुस्न-ए-मुजस्सिम - सबसे हसीन;
गेसू-ए-बरहम - बिखरे हुए बाल .
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जिस दिन के सजन बिछड़े हैं,
तिस दिन का दिल बीमार होया,
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इश्क क्या शय है,
किसी कामिल से पूछा चाहिए,
किस तरह जाता है दिल,
बे दिल से पूछा चाहिए
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हज़रत वारिस शाह
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कामिल- पढ़ा लिखा.
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तेरी सूरत से नहीं मिलती किसी की सूरत,
हम जहाँ में तेरी तस्वीर लिए फिरते हैं!
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तू मिला भी है, तू जुदा भी है, तेरा क्या कहना!
तू सनम भी है, तू खुदा भी है, तेरा क्या कहना!
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निगह-ए-नाज़ से पूछेंगे किसी दिन ये ज़हीन,
तूने क्या-क्या न बनाया, कोई क्या-क्या न बना...
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हज़रत ज़हीन शाह ताजी...
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जो मैं ऐसा जानती, प्रेम किये दुःख होए,
नगर ढिंढोरा पीटती, प्रेम न करियो कोई..
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नैना तुम्ही बुरी हो, तुम सा बुरा न कोय...
आप ही प्रीत की आग लगाये, आप ही बैठा रोये...
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नदी किनारे धुआँ उठे, मैं जानू कुछ होए,
जिस कारण मैं जोगन बनी,कहीं वो ही न जलता होए...
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हज़रात मिसरी शाह
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प्रीतम को पतियाँ लिखूं, जो कहीं होवे बिदेस,
तन में, मन में, नैन में, ता को कहाँ संदेस..
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हज़रत शाह अब्दुल लतीफ़ भिताई

1 comment:

  1. my goddddd.............i cried man........wowwwwww.......no words to express the emotions it stirred in me... love to be in this island of stirred emotions...savouring each moment..all on my own......

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