Friday, March 20, 2009

A bouquet of heart beats

दिल की दहलीज़ लाँघ कर,
जब से तुम मेरी ज़िन्दगी में आई हो,
ज़िन्दगी भी मुझसे बड़े अदब,
और तहजीब से पेश आई है.

बहुत खलता है खालीपन इस सीने में,
तो इसे धुएँ से भर दिया,
नींद नहीं मुकम्मल इन आँखों को,
तो इन्हें ख्वाबों से भर दिया.

दिल में रखूँगा जज़्बात अपने,
ज़ुबान तक नहीं लाऊँगा,
देखी है तुमने बेखुदी मेरी,
अब तो बेरुखी ही दिखाऊंगा.

तेरे नर्म बदन की गर्म छाँव तले,
सुलगते रहे रात भर,
गुज़र गई शब थोड़ी ही देर में,
आँख खुली तो देखा रूबरू है सेहर.

कुछ ख़लिश हो सीने में,
तो बस हम से ही कहना,
ख़फा भी हो जाऊं तुमसे,
मेरे दिल में ही महफूज़ रहना.

तेरे इश्क से रोशन रूह मेरी,
फैली खुशियों की धूप,
जित देखूँ उत देखूँ तुझको,
तेरा इश्क नचाए खूब.

ख़्वाबों के फर्श पर,
ख़यालों के पाँव फिसलते रहे,
तेरे फिराक में शब् भर,
सेहर तक मचलते रहे.


बिखरी बिखड़ी सी थी मेरी ज़िन्दगी,
तेरी बाँहों में आ कर सिमटने लगी,
ग़म-ए- ज़िन्दगी भी रूह के हाथों से
रेत बन कर वाकई फिसलने लगी...

xxxx
राजीव झा

कुछ तुम कहो कुछ हम कहें


कुछ तुम कहो कुछ हम कहें,

ये फासले यूँ ही कम करें,

कुछ तुम कहो कुछ हम कहें,

अब दरम्यान न कोई गम रहे.


जब जब गम के बादल बरसे,

क्या दोगे मेरा साथ?

तेरा ही था, तेरा ही हूँ,

क्यूँ सोचे ऐसी बात....



तुम बिन धड़कन सूनी सी है,

सीने पर रख दे हाथ,

आ लग जा सीने से तू,

दे दे हाथों में हाथ...


मेरे ग़म से रोई धरती,

देखो ये ओस की बूँद,

आ बस जा नयनों में तू,

आँखों को लूँ मैं मूँद...


तेरे इश्क से रौशन रूह मेरी,

बिखड़ी खुशियों की धूप,

साथ मेरे जब तक है तू,

मैं हूँ ग़म से महफूज़...


बिन देखे बेचैन रहूँ,

देखूँ तो आये सुकून,

चाहूँ खुद से ज्यादा तुझको,

तेरा इश्क नचाए खूब...

xxxx

राजीव झा