Tuesday, August 17, 2010

रात चुप चाप से

रात चुप चाप से
अकेले आ जाती है
दस्तक भी नहीं देती
पता भी नहीं बताती अपना
बस आ कर के लेट जाती है साथ
जैसे बिन बताये ही सिरहाना खिसक कर
बाँहों में आ जाये और बदन से लग कर
कहे की किसका इंतज़ार करते हो
टकटकी बांधे देखते हो अँधेरे में
सायों ओ आगोश में लेने की कोशिश करते हो
और यह नहीं सोचते की ये साए भी
मेरी वजह से ही हैं


Rajshekhar Malviya
Brand Curry
VP