Friday, March 20, 2009

कुछ तुम कहो कुछ हम कहें


कुछ तुम कहो कुछ हम कहें,

ये फासले यूँ ही कम करें,

कुछ तुम कहो कुछ हम कहें,

अब दरम्यान न कोई गम रहे.


जब जब गम के बादल बरसे,

क्या दोगे मेरा साथ?

तेरा ही था, तेरा ही हूँ,

क्यूँ सोचे ऐसी बात....



तुम बिन धड़कन सूनी सी है,

सीने पर रख दे हाथ,

आ लग जा सीने से तू,

दे दे हाथों में हाथ...


मेरे ग़म से रोई धरती,

देखो ये ओस की बूँद,

आ बस जा नयनों में तू,

आँखों को लूँ मैं मूँद...


तेरे इश्क से रौशन रूह मेरी,

बिखड़ी खुशियों की धूप,

साथ मेरे जब तक है तू,

मैं हूँ ग़म से महफूज़...


बिन देखे बेचैन रहूँ,

देखूँ तो आये सुकून,

चाहूँ खुद से ज्यादा तुझको,

तेरा इश्क नचाए खूब...

xxxx

राजीव झा

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