Thursday, January 29, 2009

The heart smasher from " Rog"

मैंने दिल से कहा, ढूँढ लाना ख़ुशी
नासमझ लाया गम , तो यह गम ही सही
बेचारा कहाँ जानता था
खलिश है यह क्या खला है
शहर भर की ख़ुशी से
यह दर्द मेरा भला है
जश्न यह राज़ न आये
मज़ा तो बस गम में आया है
कभी है इश्क का उजाला
कभी है मौत का अँधेरा
बताओ कौन बेस होगा
मैं जोगी बनू या लुटेरा
कई चेहरे है इस दिल के
न जाने कौन सा मेरा
हजारों ऐसे फासले थे
जो तय करने चले थे
राहे मगर चल पड़ी थी
और पीछे हम रह गए थे
कदम दो चार चल पाए
किये फेरे तेरे मन के
मैंने दिल से कहा, ढूँढ लाना ख़ुशी
नासमझ लाया गम , तो यह गम ही सही

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